
नेपाल की राजनीति एक बार फिर मोड़ पर खड़ी है। जेन-जी आंदोलन ने जहां सत्ता की नींव हिला दी, वहीं अब देश को चाहिए एक ऐसी सरकार जो इलेक्शन करवा सके, और फिर गायब हो जाए — मतलब, अंतरिम सरकार।
और इस सरकार का चेहरा कौन होगा?
सुशीला कार्की का नाम सबसे ऊपर उभर कर आया है। अब सवाल ये है कि – “Interim PM कौन बनाता है?” और जवाब है – Discord वाले युवा और लोकतंत्र की नई स्टाइल!
जेन-जी: सड़कों से डिस्कॉर्ड तक, क्रांति अपग्रेड हो गई है
पहले क्रांति होती थी जनता दरबार में, अब होती है जनता के सर्वर में। Nepal का Gen-Z आंदोलन अब संसद नहीं, Discord पर तय कर रहा है कि अगला प्रधानमंत्री कौन होगा।
10,000+ लोग जुड़े, वोटिंग हुई, नामों की लिस्ट में कुलमान घिसिंग, बालेंद्र शाह, और सुशीला कार्की शामिल थे। पर एक चीज़ तय थी – लोगों का मूड अब VIP से ज्यादा DIY हो गया है।
सुशीला कार्की: From Chief Justice to “Chosen One”
सुशीला कार्की, नेपाल की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश, अब बन सकती हैं पहली “डिजिटलली चयनित” अंतरिम पीएम। उनकी छवि साफ-सुथरी, जुबान साफ और फैसले करारी ठंडी कॉफी की तरह — कड़वी लेकिन जगाने वाली।
उनका नाम इसलिए सबसे आगे आया क्योंकि कभी किसी पार्टी से नहीं जुड़ीं। साफ और निष्पक्ष छवि। बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय से पढ़ी हुईं (क्लास में नहीं, क्लास से ऊपर थीं) और सबसे बड़ा कारण – बालेंद्र शाह ने भी उन्हें सपोर्ट कर दिया।
लेकिन PM का नाम डिस्कॉर्ड पर ही क्यों तय हो रहा है?
क्योंकि देश में भरोसा टूट चुका है। और अब जनता को चाहिए Google Docs में पारदर्शिता और Discord Poll में लोकतंत्र।
जेन-जी समूह ने तय किया कि पारंपरिक “बैक डोर” सौदों के बजाय अब होगा ऑनलाइन वोटिंग, जहां फर्जी प्रोफाइलों की जांच भी होती है (मतलब, चुनाव आयोग अब IT टीम है)।

जेन-जी का फॉर्मूला:
“न नेता चाहिए, न लाठी – बस सच्ची बात और थोड़ी समझदारी!”
Nepal की नई पीढ़ी ने यह दिखा दिया है कि अगर राजनीति ट्रेंडिंग में हो सकती है, तो चुनाव भी वीडियो कॉल पर संभव है।
कुलमान घिसिंग भी रेस में, पर क्यों पीछे?
कुलमान घिसिंग, जो पावर कट्स हटाने वाले ‘पावरफुल’ अफसर थे, अब खुद पावर में आना चाहते हैं। पर इस बार वोटिंग ‘लोड शेडिंग’ का नहीं, लीडरशिप का था।
उनका नाम जेन-जी के एक समूह ने सामने रखा, पर मेजॉरिटी ने फिर भी कार्की कार्ड खेल दिया।
देश को चाहिए ‘ट्रांजिशन’ वाली सरकार
लोगों को अब वो सरकार चाहिए जो न लाल झंडा लहराए, न भगवा घुमाए — बस कुछ महीने शांतिपूर्वक काम करे, और फिर “Thank You, Goodbye” कहकर चली जाए। अंतरिम सरकार वही है, जो EX नहीं होती, पर EXit प्लान जरूर लाती है।
अगर राजनीति Memes बन चुकी है, तो नेता Memer क्यों न हों?
Gen-Z का जवाब साफ है — “हमें पार्टी का झंडा नहीं, बंदा चाहिए।”
और इस वक्त, सुशीला कार्की ही वो नाम हैं जिनमें जनता को साफ-सुथरी उम्मीद दिख रही है। आगे क्या होगा? पता नहीं।
पर एक बात पक्की है — नेपाल में लोकतंत्र अब Cloud-Based हो चुका है।
नेपाल की पहली महिला सरकार प्रमुख? सुशीला कार्की के नाम पर बनी सहमति!